Raat Ki Uljhi Salwatein Lyrics
- Genre:Acoustic
- Year of Release:2023
Lyrics
रात की उलझी सी सलवटें
बंद पलकों में भी
सुलझी नहीं कोई
जागती फिर वोहि करवटें
अनबन सी कोई
चलती रही युहीं
रात की उलझी सी सलवटें
कयीं रास्ते, गर चलते तो, नए रास्ते
होता यूँ होता अगर होता क्या
मीलों सफ़र चलती हैं
आँखें बेसुध सी रात में
गलियों में फिरती
यादों में गुम सी
जागती फिर वोहि करवटें
अनबन सी कोई
चलती रही युहीं
रात की उलझी सी सलवटें
ढके घाव से, चादर खिंचे, उघड़े हुए
घाव को कुरेदे कोई हाथ से
बेरहम ख़याल रात के
छुप के घुसते हैं रात में
पलकें बंद हुईं
फिर ये रुके नही
रात की उलझी सी सलवटें
बंद पलकों में भी
सुलझी नहीं कोई
जागती फिर वोहि करवटें
रात की उलझी सी सलवटें