Pehchani Si Lyrics
- Genre:Acoustic
- Year of Release:2022
Lyrics
यूँ लगा था के दिन बदल गया है, रात भी नयी है
यूँ लगा था के साँस जो थमी थी, फिर चल पड़ी है
अब मगर ये एहसास हो रहा है
के ज़िंदगी जहाँ पे खड़ी थी, अब भी वहीं है
पहचानी सी फिर वोहि रातें
फिर वोहि हँसी
फिर वोहि बातें
अनजानी सी फिर ये हलचल क्यूँ
रुक नहीं रही क्यूँ बरसातें
यूँ लगा, मिट गयीं, देर से
थी छिपीं, कोने में, रेत सी
मनमानी भरी वोहि यादें
फिर चुभन वोहि
फिर वोहि आहें
अनजानी सी फिर से हलचल है
रुक नहीं रही हैं बरसातें
समाँ वोभी था, उड़ते थे, पंख थे क़दमों में
पता लापता, खोए थे, बादली नग़मों में
समाँ वोभी था, डूबे थे, दरिया की लहरों मे
पता लापता, खोए थे, चाहती नज़रों में
तर बतर राह पर जब खुली पलकें आस्माँ तले
रेत थी हाथ में खाबों के बदले
फिसली जितनी मुट्ठी दबाई
चुन चुन करके
दाग़ मिटाये
अनजानी सी फिर ये हलचल क्यूँ
रुक नहीं रही क्यूँ बरसातें
यूँ लगा, मिट गयीं, देर से
थी छिपीं, कोने में, रेत सी
मनमानी भरी वोहि यादें
दुआ साथ में, थामेंगे, हाथ सब जन्मो में
हुआ यूँ मगर, छूट गया, साथ उन लमहों में
दुआ साथ में, घर की थी, पार उस धरती के
हुआ यूँ मगर, डूब गए, काग़ज़ी कश्ती में
तर बतर राह पर जब खुली पलकें आस्माँ तले
रेत थी हाथ में खाबों के बदले
रुक जानी थी फिर वहीं साँसे
तिल तिल जीए
पल वो भुलाक़े
अनजानी सी फिर ये हलचल क्यूँ
रुक नहीं रही क्यूँ बरसातें
यूँ लगा, मिट गयीं, देर से
थी छिपीं, कोने में, रेत सी
मनमानी भरी वोहि यादें
फिर चुभन वोहि
फिर वोहि आहें
अनजानी सी फिर से हलचल है
रुक नहीं रही हैं बरसातें
पहचानी सी फिर वोहि रातें
फिर वोहि हँसी
फिर वोहि बातें