![DIN GAYA MEET](https://source.boomplaymusic.com/group10/M00/08/13/0b3eee50839f4db9b69f9c18dc6c70cbH3000W3000_464_464.jpg)
DIN GAYA MEET Lyrics
- Genre:Folk
- Year of Release:2024
Lyrics
दिन गया मीत
रात भी ढली मैं सोच-सोचकर हुआ पागल।
और कितनी धुनें जानती
तुम्हारी इक तार की इकतारा।।
कैसे कहूं ये बात मैं
मैं कैसे कहूं ये बात मैं
उस उदास बांसुरी के स्वर में।
मिलन की वीणा गूंजे दिल में
तुम्हारी आंखों में फागुन क्यों छलके।।
सोचा था फूलों की रंगत
सोचा था फूलों की रंगत में
जब तुम रंगोगे फागुन की।
मैं कहूंगा कुछ सुनूंगा कुछ
शायद आएगी वो घड़ी।।
तुम्हारी नादान बात
बस तुम्हारी नादान बात ने
मेरे सारे पहर चुरा लिए।
कैसा ये पल-भुला
तुम्हारी एक माला लेकर
मैं सब कुछ हार गया।।
तुम्हारी आँखों का जादू
मेरे दिल को यूँ ही लुभाए।
फागुन के इस रंग में
बस तुमसे ही बहलाए…