
Shakuni Hindi Rap (An Honest Rap) Lyrics
- Genre:Hip Hop & Rap
- Year of Release:2024
Lyrics
रणभूमौ युद्धं कर्तुं पूर्वं मनोभूमौ क्रीड्यते।
समदामदण्डवेदातीताः षड्यन्त्रस्य साधनानि मम।
प्रणिपात मेरे प्रिये बच्चे
मैं परपंच का स्वामी आज।
प्रस्तुत करता हूँ मेरा छल-कौशल
सर पर मेरे शोभित षड्यंत्र का ताज।
चाल चलूँ ऐसे धर्मयुद्ध परिपूरक
सुयोधन का मामा गांधार-राज!
गदा धनुर बाण तलवार—हँ!
हैं मूढ़ वीरों के व्यर्थ उपकरण।
कौन सा महासुख है युद्धभूमि में
मूर्ख! योजना से जीता जाता है रण।
जीवन-रस का आनंद छोड़ के
मिथ्या ही जाते हैं प्राप्त करने मरण।
एकमात्र प्रतिद्वंदी वासुदेव मेरे
कुछ मेरे प्यादे हैं शेष उनके शरण।
लक्ष्य एकमात्र—कुरुवंश का विध्वंश
भीष्म-पतन मेरा मन अभिलाषी है।
अंधा गले बाँध दिया मेरी भगिनी के
मेरी आत्मा प्रतिशोध की प्यासी है।
तो क्या यदि कृष्ण कहता ईश्वर हूँ?
मेरे ये पासे! मेरी आज्ञा की दासी हैं!
रणभूमौ युद्धं कर्तुं पूर्वं मनोभूमौ क्रीड्यते।
समदामदण्डवेदातीताः षड्यन्त्रस्य साधनानि मम।
कान्हा करे तो देखो प्रभु की लीला!
मैं करूँ तो षड्यंत्र।
किन्तु ये षड्यंत्र
घनी उपयोगी यंत्र।
जैसे गीता है परम ज्ञान
ये मेरा जीवन-सिद्धांत।
छ: विधियों से बना
मेरे चित्त का मूलमंत्र।
मेरे बच्चे सुनो धर ध्यान।
प्रथमं—जारण लाख का भवन।
शत्रु समाधि वरणाव्रत संभव।
किन्तु सब सुरक्षित! कैसे मेरे बच्चे?
मार्ग निर्मित कर धरती के भीतर!
द्वितीयं—मारण भृगोदर विष-प्रदान।
बाल के हाथों बालक की हत्या का प्रयत्न।
लेकिन वह वापस आया लिए महावरदान।
रणभूमौ युद्धं कर्तुं पूर्वं मनोभूमौ क्रीड्यते।
समदामदण्डवेदातीताः षड्यन्त्रस्य साधनानि मम।
तृतीयं—ज्ञान अति उग्रः उच्चाटन।
द्यूत सभा-स्थान मान-भंग प्रयत्न।
किन्तु सखी सर्वस्वा-संरक्षण
करे स्वयं द्वारकाधीश मधुसूदन।
भीम का गर्जन प्रण महा भीषण
दु:शासन मर्दन पश्चात लहू-केश स्नान।
अंधे राजा की सभा बैठी मूक
भीष्म के कुरुकुल पर आ छिः! थू! थू!
पांडव रिक्त किन्तु शेष थी अभी मेरी भूख!
चतुर्थं—विधि नहीं मेरा आचरण।
वासुदेव स्वयं नियति-मोहन परम।
पर अंगराज को मिथ्या राज्यदान
क्या नहीं मोहिनी सम लाभ-प्रदान?
एक मोहित करे दूजा मिथ्या मित्रता मान।
पंचमं यंत्रविधि—स्तम्भन।
द्रोण का चक्रव्यूह-सृजन।
जयद्रथ का बाहुबल-वर
रणभूमि से पृथक अर्जुन।
पांडव विवश व्यूह का बंधन
एकमात्र पराक्रमी—शुभद्रानंदन!
शस्त्रहीन कर रथ को हर
मेरे साथी
सारे सियारों के भांति
करते वार-प्रहार बारम्बार।
बाण-वर्षा की धार
अंत में कर्ण का तलवार!
रणभूमौ युद्धं कर्तुं पूर्वं मनोभूमौ क्रीड्यते।
समदामदण्डवेदातीताः षड्यन्त्रस्य साधनानि मम।
किन्तु कौन्तेय रौद्र-प्रकोप अहो!
उस पर कृष्ण का कपट सहो।
आवरण सुदर्शन—सूर्यप्रकाश
प्रण पूर्ण पिता-पुत्र पाप-सर्वनाश।
अंतिम विधि—पर्व सर्व-विनाश।
शत्रु-दल संग भस्म-भस्मान।
अतः महाभारत महासंग्राम
अति-प्रतिकूल प्रलय-परिणाम।
सत-स्वस्ति स्पंद-रिक्त स्पंदन-पूर्ण विराम।
व्यर्थ संघर्ष किंचित न्यून आभास।
अक्षय सत्य मात्र—सुदर्शन संहार।
धर्मयुद्ध करता कारक स्वयं भगवान्।
धर्मयुद्ध करता कारक स्वयं भगवान्।
रणभूमौ युद्धं कर्तुं पूर्वं मनोभूमौ क्रीड्यते।
समदामदण्डवेदातीताः षड्यन्त्रस्य साधनानि मम।