
Shubhadra Nandan ABHIMANYU Lyrics
- Genre:Hip Hop & Rap
- Year of Release:2024
Lyrics
निघ्नन्नमित्रान् सौभद्रः परमास्त्रैः प्रतापवान् ।
अदर्श यत तेजस्वी दिक्षु सर्वासुभारत ||
(भारत! प्रतापी एवं तेजस्वी वीर सुभद्राकुमार अपने दिव्यास्त्रोंद्वारा शत्रुओंका नाश
करता हुआ सम्पूर्ण दिशाओंमें दृष्टिगोचर हो रहा था )
बारह दिन की लड़ाई बीत चुकी थी
हजारों का रक्त माटी को सींच चुकी थी
परसुराम शिष्य द्रोण थे कौरवों नायक
चक्रब्यूह रचना की घडी , अति निर्णायक
तेरवे दिन युद्धारम्भ का शंकनाद हुआ
सुशर्मा और अर्जुन के धुआं
अर्जुन एक मात्र जो करे व्यूह भंग
शत्रु को था ज्ञांत अतः सुशर्मा का प्रसंग
ले गया पार्थ को युद्ध केंद्र से दूर
चक्रव्यूह का विनाश क्षण भर में प्रचुर
अर्जुन नहीं तो मन कैसे हो आस्वस्त
गांडीवधारी ही कर सकता है मार्ग प्रसश्त
शेष पांडव के मन में भी विस्मय चिंतन
अर्जुनपुत्र तभी आगये करते कथन गर्जन
निघ्नन्नमित्रान् सौभद्रः परमास्त्रैः प्रतापवान् ।
अदर्श यत तेजस्वी दिक्षु सर्वासुभारत ||
क्षत्रिय को नहीं अधिकार वो पौरुष त्यागे
चक्रब्यूह ही तो है , डर के क्यों भागें
मैं करूँगा इस व्यूह का विनाश
पिता का ज्ञान और गुरु का कीर्ति प्रकाश
भूल गए क्या अभिमन्यु हूँ मैं !!
शुभद्रा नंदन
माँ पांचाली के आँखों का तारा
विजयपुत्र हूँ मैं , माधव का शिष्य
जिनके अधीन ये ब्रह्माण्ड सारा
कर्ण , द्रोण स्तब्ध खड़े सुन
अभिमन्यु के गर्जन को
देख रहे थे मौन
अर्जुनसुत के यश अर्जन को
चक्रव्यूह के मुँह में घुस के
ऐसा पराक्रम का प्रदर्शन
गुरु द्रोण जिसकी रचना कर
फुले ना समा
रहे थे मन ही मन !
ध्वंश मचा के भंग कर दिया
चक्रव्यूह के छह द्वार
दुर्योधन का कलेजा फट गया
कांपते थर थर थर !!
ऐसा साहस , ऐसा पराक्रम , ऐसी कला
देवताओं को भी लज्जित कर दे ये गुणाकेश का लल्ला
द्रोण अंगराज कृप , सब जन
विलक्षण प्रतिभा देख मग्न
सहस्त्र बाणों से निर्मित कर दे ढाल
आयु केवल सोलह साल ! केवल सोलह साल !
चाचे ताऊ ठहरे सारे महारथी
महारथियों में मैं श्रेष्ठ , मेरी यही नियति
मेरे हाथों इनकी दुर्गति
ये सब स्वार्थ के आधीपति
षड़यंत्र इनका वास्तविक ध्वज
बालक वध के लिए
युद्ध के मापदंड भूलने को सज्ज
ये कायर एक साथ कर रहे मुझपे प्रहार
मेरे से भय इतना है
छीन ली है मेरी आखिरी हथियार !
अब सासें मद्धम हो रही
कित्नु अठोट मेरा ढ़ीट खड़ा है
आँखों की ज्योति न्यून हो रही
मगर मेरी भजौं में
शत्रु का गर्दन जकड़ा है !!
ना अर्जुन श्रेष्ठ धनुर्धर , ना ही मैं हूँ
सर्व श्रेष्ठ योद्धा , केवल तुम हो , अभिमन्यु !!!