![Interlude ft. praosh](https://source.boomplaymusic.com/group10/M00/03/24/227c645d360d4c31b3bbab12ecff9aa7_464_464.jpg)
Interlude ft. praosh Lyrics
- Genre:Hip Hop & Rap
- Year of Release:2023
Lyrics
गु़ल शोर बबूला आग हवा और कीचड़ पानी मट्टी
हम देख चुके इस दुनियां को, यह धोके की सी टट्टी
गु़ल शोर बबूला आग हवा और कीचड़ पानी मट्टी
हम देख चुके इस दुनियां को, यह धोके की सी टट्टी
गु़ल शोर बबूला आग हवा और कीचड़ पानी मट्टी
हम देख चुके इस दुनियां को, यह धोके की सी टट्टी
गु़ल शोर बबूला आग हवा और कीचड़ पानी मट्टी
हम देख चुके इस दुनियां को, यह धोके की सी टट्टी
नज़ीर अकबराबादी
की पैदाइश seventeen hundred fourty में हुई
और
Eighteen thirtee में ये दुनिया से रुखसत हो गए
गु़ल शोर बबूला आग हवा और कीचड़ पानी मट्टी
हम देख चुके इस दुनियां को, यह धोके की सी टट्टी
गु़ल शोर बबूला आग हवा और कीचड़ पानी मट्टी
हम देख चुके इस दुनियां को, यह धोके की सी टट्टी
गु़ल शोर बबूला आग हवा और कीचड़ पानी मट्टी
हम देख चुके इस दुनियां को, यह धोके की सी टट्टी
गु़ल शोर बबूला आग हवा और कीचड़ पानी मट्टी
हम देख चुके इस दुनियां को, यह धोके की सी टट्टी
ये देहली में पैदा हुए
और कुछ अरसे बाद आगरे में बस गए
नज़ीर आवामी शायर थे
मतलब People's poet
गु़ल शोर बबूला आग हवा और कीचड़ पानी मट्टी
हम देख चुके इस दुनियां को, यह धोके की सी टट्टी
गु़ल शोर बबूला आग हवा और कीचड़ पानी मट्टी
हम देख चुके इस दुनियां को, यह धोके की सी टट्टी
गु़ल शोर बबूला आग हवा और कीचड़ पानी मट्टी
हम देख चुके इस दुनियां को, यह धोके की सी टट्टी
गु़ल शोर बबूला आग हवा और कीचड़ पानी मट्टी
हम देख चुके इस दुनियां को, यह धोके की सी टट्टी
उनकी शायरी में, हिंदुस्तानी माहौल
और
तहज़ीब की झलकियां मिलती है
गु़ल शोर बबूला आग हवा और कीचड़ पानी मट्टी
हम देख चुके इस दुनियां को, यह धोके की सी टट्टी
गु़ल शोर बबूला आग हवा और कीचड़ पानी मट्टी
हम देख चुके इस दुनियां को, यह धोके की सी टट्टी
गु़ल शोर बबूला आग हवा और कीचड़ पानी मट्टी
हम देख चुके इस दुनियां को, यह धोके की सी टट्टी
गु़ल शोर बबूला आग हवा और कीचड़ पानी मट्टी
हम देख चुके इस दुनियां को, यह धोके की सी टट्टी
इन्होनें
इंसानी जिंदगी के अलग अलग पहलुओं पर
बहुत सी नज़्में लिखी हैं
गु़ल शोर बबूला आग हवा और कीचड़ पानी मट्टी
हम देख चुके इस दुनियां को, यह धोके की सी टट्टी
गु़ल शोर बबूला आग हवा और कीचड़ पानी मट्टी
हम देख चुके इस दुनियां को, यह धोके की सी टट्टी
अजी ले लो
अजी ले लो
अजी ले लो
अजी ले लो
क्या बेच रहे हो बरखुरदार
कुछ नही जनाब
आचार बेच रहा था