Bholenath Ki Stuthi Lyrics
- Genre:Gospel
- Year of Release:2024
Lyrics
शिवुशन्ख की महीமागाईउव
हर हर म्हादेव का गुण गाईउव
त्रिपोरारी त्रिनेत्र धारी नंधी
के संखेक लाश वासी
गंगा चल से अभिषेक करे
भोलेनाथ की आरदि गाईउव
शिवुशन्क की महीमागाईउव
हर हर महादेव का गुण गआईउव
बावरुं की द्वानी से रूजे
शिवँका नाम हर दिल में बसे
चटामे गंगा कले में सर्व
महकाल की महीमागाईउव
शिवु शिवु कि टोट मिर्वामे
शिवुशन्क की महीमागाईउव
हर हर महादेव का गुण गाईउव
फैलाश पर्वत के वासी प्रभू
आओ घड़ तानी हम सब के रकशक
चंद्र को मस्तक
संजी आकाश में चमकते तारों की शंकर
शिवु पत्तों के संगी तारों की शंकर
चंद्र को मस्तक
संजी आकाश में चमकते तारों की शंकर
शिवु पत्तों के संगी नाचे देव लोग में बजाए ताल
शिवुशन्क की महीमागाईउव
हर हर महादेव का गुण गाईउव
भोला सा रूप प्रभू का हाथों में त्रिशूल धरन करे
रक्त चतारी जोगी वरदानी भक्तों को तारण करे
अंधता से निजात दे प्रभू शिवु का हर सास में गुण गाईउव
शिवुशन्कर की महीमागाईउव
हर हर महादेव का गुणगाईउव
गमरू की ध्वर्नी से भूजे
शिवंका नाम हर सिल में बसे जका में गंगा
गले में सर्प महाकाल की महीमागाईउ
शिवुशन्कर की महीमा गाईउव
हर हर महादेव का गुनगाईउव
रात्री में जागे ध्यान करें
मुदंग बजाए, हर्याली बरसे
सासों में बसाए
शिव को भवसागर से पार तरें
त्रियोकनात की महीमा गाईए
तुनियां भर में महीमा पहलाए
शिवुशन्कर की महीमा गाईउव
हर हर महा देव का गुनगाईउव