![Devaasuri swabhaav](https://source.boomplaymusic.com/group10/M00/09/11/976704f42c3a4e02961c614b4e320488_464_464.jpg)
Devaasuri swabhaav Lyrics
- Genre:Spirituals
- Year of Release:2023
Lyrics
Lyrics 16 chapter
Intro
कुछ लोग दैवीय तथा कुछ आसुरी लक्षणों के साथ पैदा होते हैं, आइये जानते हैं, वे लक्षण क्या हैं?
Hook
हे अर्जुन, ध्यान से सुन, क्या हैं वो गुण।
क्या हैं वो गुण × २
Verse १
दैवीय लक्षण वो हैं, जहां हिंसा का ना भाव हो
खुद पर पूरा नियंत्रण, अर्जुन डर का ना प्रभाव हो
शांत हो स्वभावी, सबको देखे एक ही भाव से
दे सत्य का जो साथ, द्वैष का जिसमें अभाव हो।
विपरित इसके जिसमें क्रोध, हिंसा व अज्ञान
घमंड का है भाव, गुण आसुरी की पहचान
जिसमें हैं दैवीय गुण, वो देवों के समान है अर्जुन
आसुरी गुण वाले हैं, राक्षस के समान।
हैं कहते माधव अर्जुन से, अर्जुन तू यूं ना शोक कर
दैवीय सम्पदा के साथ में तू पैदा हुआ है
और होती प्राप्त, दैवीय गुण वाले प्राणी को मुक्ति
मन से दे मार ये विकार, जो फैला हुआ है।
आसुरी व्यक्ति अपनी कमियों को ना सुन पाता है,
ना ही अच्छाई की वो राह अर्जुन चुन पाता है,
धर्म, अधर्म, ईश्वर, सच्चाई भी ये ना मानें
मिथ्या, अज्ञान, झूठ में रमकर खुद के गुण गाता है।।
Hook
हे अर्जुन, ध्यान से सुन, क्या हैं वो गुण।
क्या हैं वो गुण × २
Verse २
ऐसे लोगों की बुद्धि हो जाती अर्जुन मंद
वो पैसों की शक्ति में चूर आँखे रखते बंद
वो चिंता में घिरे रहते, सुख भोगे केवल इन्द्रियों के,
पाने की इच्छा में वो करते गलत कर्म।
आसुरी लोगों के मन की कामना ना होती खत्म
बाद एक ही जीत के,ये बन जाते अहंकारी
धन व कुटुम्ब का घमण्ड रहता सर पर इनके,
दान व यज्ञ करके, समझें खुद को संस्कारी।
धोने को पाप, करते दान जो दिखावे का,
ऐसे आसुरी को, अर्जुन मैं होता प्राप्त नहीं,
मानते श्रेष्ठ अपने आप को ही लोग ऐसे,
ईश्वर से द्वैष होता ईश्वर को बर्दाश्त नहीं।
काम हो या क्रोध हो या लोभ, अर्जुन कारण तीन
मूल बुराई के, और तीनों ही निवारणहीन
तीनों से बच जाता जो, परमगति को प्राप्त है करता
कर्म, कर्तव्य मान, अर्जुन उसमें हो जा विलीन।।
Hook
हे अर्जुन, ध्यान से सुन, क्या हैं वो गुण।
क्या हैं वो गुण × २
Outro
अध्याय 16 के अनुसार दैवीय तथा आसुरी
दो ही प्रवृत्ति के लोग होते हैं
तथा दोनों को अपने कर्मों के अनुरूप
अगली योनि में जन्म मिलता है।।