Kalam Lyrics
- Genre:Hip Hop & Rap
- Year of Release:2022
Lyrics
आज जो कलम पे चढ़ चुकी है
ये सियाही तेरे नाम की
नाम की
मै कर रहा हु कोशिशें ना निकले
घिशु कितने कितने बार ही
बार ही
ना रूकसते जवां हुई
जवां है ये कलम तो मेरी आज भी
आज भी
याद आती क्यों है तेरी सबसे करता हु
मै बाते उसके बाद भी
बाद भी
रुके से लब्ज़
कुछ ना कह पाऊं
पर जिंदगी को खोज
कुछ तो कह जाऊ
जो चुप रहु तो
मन ये मेरा कहेता है
तू कुछ तो बोल साले
अब भी जिंदा हु
कलम पे है भरोसा अब गवाह ये कलम ही है
तू साथ मेरे है नही पर साथ ये भरम ही है
तू होगा यूं अकेला तेरे साथ फ़िर भी हम ही है
नाकाम को न तोड़ना लिखावटे मरहम भी है
आज गम भी है तो कल खुशी
जो पल मिले सवांर लू
यूं बंदियों के पीछे ना किसी से भी उधार लूं
तराश लूं जो है लिखा नसीब में तू मेरी
मै खुद की आधी जिंदगी ना प्यार के गुज़ारा दू
नकल ना करना सीखा , ना सीखी बेवफाई
उड़ना आसमान में , और लंबी ये चढ़ाई
गिर गया संभल रहा ये भी है सच्चाई
मेरे साथ जो चली है मां बाप की परछाई
पी के बैठा मै गमों को फ़िर भी आज ज़िंदा हु
कौन सी वो बात जाने किस वजह से जी रहा हु
लोग भी ये पूछे ऐसे कैसे सोच लेता
मैं खुद ना जानू इतनी बातें कैसे बोल देता हूं
मैं खुद ना जानू इतनी बातें कैसे बोल देता हूं
बोल देता हु
मैं खुद ना जानू इतनी बातें कैसे बोल देता हूं
बोल देता हु
गमों से गम को तोड़ के, दिलों से दिल को जोड़ा है
जो आसमा सी ख्वाहिशे तो राहो को निचोड़ा है
ना देख पाया खाई बस लगा दिया छलांग
आज पाई पाई जोड़ के उन बातों को टीटोला है
मैं खुश हूं जितना भी मिला मिलेगा मुझको कब तक
है निशाना सीधा मैं रुकूंगा नहीं जब तक
रुक गया तो बस अंधेरा साथ ना है बरकत
मैं खुद दिखूंगा ताप सा जब पूरा होगा मकसद
मैं खुद दिखूंगा ताप सा जब पूरा होगा मकसद
मैं खुद दिखूंगा ताप सा जब पूरा होगा मकसद
मैं खुद दिखूंगा ताप सा जब पूरा होगा मकसद
कलम